मेरे राम वन को चले
मेरे राम वन को चले
राज सिंघासन त्याग
पितृ वचनों को निभाने
राह में कांटे पत्थर चुने।।
मेरे राम वन को चले
राह में केवट से मिले
जो चरण कमल जल
को चरणामृत समझ
कर पिए।।
मेरे राम वन को चले
राह में अहिल्या से मिले
दुख दूर किए और बढ़ चले।।
मेरे राम वन को चले
सबरी से मिले
झूठे मीठे फल है चुने
मोल प्यार का समझा के चले।।
मेरे राम वन को चले
प्यारे हनुमान से मिले जो
लक्ष्मण को संजीवन दिए।।
मेरे राम वन को चले
सिया के विश्वाश
को कायम किया
रावण वध किया और
विभीषण को राज दिया।।
मेरे राम वन से चले
अयोध्या की और चले
दीपों से स्वागत हुआ
राज तिलक हुआ।
मेरे राम घर को लौट चले
हां राम घर को लौट चले।।
लेखिका - कंचन सिंगला ©®
Shashank मणि Yadava 'सनम'
14-Mar-2023 05:02 AM
लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब
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Gunjan Kamal
23-Dec-2022 06:00 PM
शानदार
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Sachin dev
22-Dec-2022 06:44 PM
Well done
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